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यथा वैदेहि सा पतिः साभिमान्यापि तथैव सा।

प्रेम विवाह हिंदू ज्योतिष के अनुसार एक महत्वपूर्ण विषय है, जिसमें दो व्यक्तियों की आत्मिक मिलन से नया जीवन आरंभ होता है। हिंदू शास्त्रों में विवाह को एक पवित्र संस्कार माना जाता है और इसका अनुष्ठान समाज में बड़ा महत्व रखता है। विवाह के प्रति प्रेम को भगवान की आराधना माना जाता है, जिसमें दो आत्माओं का विलय होता है।

प्रेम विवाह की महत्वपूर्णता:

प्रेम विवाह हिंदू धर्म में अद्वितीय महत्व रखता है। यह विवाह दो व्यक्तियों की आत्मिक एकता को प्रकट करता है और उन्हें समाज की स्वीकृति प्राप्त होती है। प्रेम विवाह में व्यक्तियों का स्वतंत्र चयन होता है और यह उन्हें अपने जीवनसाथी के साथ खुशियों की यात्रा पर ले जाता है।

प्रेम विवाह और कुंडली मिलान:

प्रेम विवाह के लिए कुंडली मिलान एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया दो व्यक्तियों के गुणों, दोषों, और भविष्य का विश्लेषण करती है ताकि वे अपने विवाह के लिए उपयुक्त हो सकें। कुंडली मिलान के माध्यम से, दोनों की ग्रहों की स्थिति, नक्षत्र, और दोषों का विश्लेषण किया जाता है। यदि कुंडली मिलान में कोई दोष मिलता है, तो उसका समाधान किया जाता है ताकि विवाह सुखद और समृद्ध हो सके।

प्रेम विवाह के उदाहरण:

  1. शिव-पार्वती: भगवान शिव और पार्वती का प्रेम कथाओं में अद्वितीय स्थान है। उनका विवाह अद्वितीय और प्रेमपूर्ण था।
  2. राधा-कृष्ण: राधा-कृष्ण की प्रेम कथा भारतीय साहित्य में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
  3. दुष्यंत-शकुन्तला: दुष्यंत-शकुन्तला की कथा महाकाव्य "अभिज्ञानशाकुन्तलम्" में प्रसिद्ध है।

ये सभी उदाहरण प्रेम विवाह के महत्व और सुंदरता को प्रकट करते हैं। प्रेम विवाह हिंदू धर्म में एक उत्तम विवाह के रूप में माना जाता है जो दो आत्माओं की आत्मिक सम्मिलन का प्रतीक है। इसे बुराई या अशुभ नहीं माना जाता, बल्कि यह समाज के साथ एक खुशहाल और समृद्ध जीवन की शुरुआत का संकेत है।

"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः॥"

इस श्लोक में बताया गया है कि जहाँ पर नारियों की पूजा होती है, वहां देवताओं का वास होता है, और जहाँ पर उनकी पूजा नहीं होती, वहां सभी क्रियाएँ व्यर्थ होती हैं। इसका अर्थ है कि प्रेम और सम्मान के साथ व्यक्ति अपने जीवन की सभी क्रियाओं में सफलता प्राप्त कर सकता है।

प्रेम विवाह का अर्थ यह नहीं है कि परंपरागत विवाह की महत्वपूर्णता कम होती है, बल्कि यह बताता है कि अपने जीवनसाथी को चुनने में व्यक्ति को स्वतंत्रता और सम्मान मिलना चाहिए। विश्वास करें, प्रेम विवाह भी समृद्धि, समाधान और खुशियों का संचार कर सकता है।

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