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"विवाहे प्रथमे वर्त्तेत्पुण्यं च त्रिविधं स्थितम्।
आशिष्टं गण्डस्थं चायं स्थानं विवाहस्य समाचरेत्॥"

इस श्लोक के अर्थ है कि विवाह के पहले, तीन प्रकार के पुण्य होते हैं। इनमें से एक प्रकार विशेष शुभ होता है। विवाह के समय ज्योतिषीय उपायों का पालन करने से शुभता और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

हिन्दू ज्योतिष शास्त्र में विवाह हेतु कुंडली मिलान को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके माध्यम से दो व्यक्तियों के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त करने की संभावना होती है। इस लेख में, हम इस महत्वपूर्ण विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

कुंडली मिलान क्या है?

विवाह के लिए कुंडली मिलान, दोनों पक्षों की कुंडली में विभिन्न गुणों और दोषों की जांच करने की प्रक्रिया है। इसमें नक्षत्र, गण, तारा, योनि, वर्ण, ग्रहों के स्थान, दशाओं और दोषों की जांच होती है। विवाह के लिए कुंडली मिलान का मुख्य उद्देश्य यह है कि विवाहित जीवन में समरसता, संबंधों में समझदारी, और साथी के साथ सुख-शांति का समाधान हो।

  • कुंडली मिलान के लिए महत्व:धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व: हिन्दू समाज में कुंडली मिलान को धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है। यह विवाह की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है जो परिणामस्वरूप विवाहित जोड़े के जीवन को समृद्धि और सुख-शांति की दिशा में ले जाता है।
  • गुण मिलान: कुंडली मिलान में गुणों की मिलान की जाती है जैसे कि विवाहीत जोड़े की आदर्श संख्या, वंश, तारा, दोष, और दशा। ये गुण साथी के साथ समरसता और संबंधों में समझदारी का संकेत देते हैं।
  • परिवार की स्वीकृति: कुंडली मिलान के माध्यम से परिवारों की सहमति प्राप्त की जा सकती है। इससे परिवार के सदस्यों के बीच संबंध मजबूत होते हैं और विवाहित जोड़ा उनकी सहमति के साथ जीवन की यात्रा की शुरुआत कर सकता है।
  • संबंधों में समझदारी: कुंडली मिलान से निकले गुण और दोष साथी के साथ संबंधों में समझदारी और समरसता बढ़ाते हैं। यह विवाहीत जोड़े को विवाह के बाद के संबंधों में सहजता और सुख की भावना प्रदान करता है।

कुंडली मिलान के महत्व को समझते हुए और विवाह के संबंध में सही निर्णय लेते हुए, समृद्ध और सुखमय जीवन की प्राप्ति संभव होती है। इसलिए, विवाह से पहले कुंडली मिलान को महत्वपूर्ण रूप से ध्यान में रखना चाहिए।

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