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"कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा, बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात्। करोमि यद्यत्सकलं परस्मै, नारायणायेति समर्पयामि॥"


इस श्लोक में कहा गया है कि हमें सभी कार्यों को भगवान के नाम में समर्पित करना चाहिए। विवाह की देरी या किसी भी समस्या का समाधान करते समय हमें भगवान की कृपा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

विवाह एक महत्वपूर्ण घटना है जो हर व्यक्ति के जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है। हिंदू धर्म में विवाह को एक पवित्र संस्कार माना जाता है जो दो आत्माओं को एकत्र करता है और उन्हें जीवन भर के लिए एक साथ बाँधता है। विवाह के माध्यम से दो व्यक्तियों की आत्मा, मानसिकता और शारीरिकता का मिलन होता है जो उन्हें अपने जीवन की साझा यात्रा पर ले जाता है।

विवाह की देरी एक ऐसी समस्या है जो कई लोगों को कई कारणों से परेशान करती है। हिंदू ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, विवाह में देरी के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि ग्रहों की दशा, दशा, गोचर, और कुंडली में स्थित दोष। यहाँ हम विवाह में देरी के कुछ प्रमुख कारणों को विस्तार से विचार करेंगे और उनके समाधान पर भी चर्चा करेंगे।

ग्रहों की दशा: विवाह में देरी का एक मुख्य कारण ग्रहों की दशा और भाग्योदय की गतिविधियों का अभाव हो सकता है। किसी व्यक्ति की कुंडली में किसी विशेष ग्रह की दशा होने पर, विवाह में देरी हो सकती है। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की दशाओं का महत्व विशेष माना जाता है, और यह दशाएं विवाह में देरी के कारणों को स्पष्ट कर सकती हैं।

दोषित गोचर: ग्रहों के गोचर या चलन भी विवाह में देरी का कारण बन सकते हैं। जब कोई शुभ ग्रह अशुभ स्थिति में होता है, तो विवाह में देरी हो सकती है। ग्रहों के गोचर का ध्यान रखना भी जरूरी है जब विवाह में देरी का कारण ढूँढने की बात होती है।

कुंडली में दोष: कुंडली में किसी दोष की वजह से भी विवाह में देरी हो सकती है। मंगल दोष, कालसर्प दोष, ग्रहों के अनुकूल न होना, आदि कुंडली में दोषों के कारण विवाह में देरी हो सकती है। इसलिए, कुंडली में दोष के समाधान के लिए उपाय करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

यदि आप विवाह में देरी के कारणों को जानने और उनके समाधान के लिए सही मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहते हैं, तो एक अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श करें। ज्योतिष शास्त्र विवाह में देरी के कारणों को समझने और उनके समाधान करने में मदद कर सकता है।

कुंडली मिलान का महत्व: विवाह के लिए कुंडली मिलान एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में दो व्यक्तियों की कुंडली के गुण और दोषों का विश्लेषण किया जाता है और उनके संगम की योग्यता की जांच की जाती है। कुंडली मिलान से विवाह के बाद आनेवाली संभावित समस्याओं का पूर्वानुमान किया जा सकता है और उनका समाधान किया जा सकता है। यह विवाह में देरी और संबंधों में खुशी और समृद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

इस प्रकार, विवाह में देरी के कारणों को समझना और इन्हें समाधान करना महत्वपूर्ण है। ध्यान देने वाले विशेषज्ञ ज्योतिषी से परामर्श लेकर समस्याओं का समाधान प्राप्त करें और खुशहाल और समृद्ध विवाह के लिए अपने जीवन साथी का चयन करें।

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