अमन्त्रम् अक्षरं नास्ति, नास्ति मूलमनौषधम् । अयोग्यः पुरुषो नास्ति, योजकस्तत्र दुर्लभः ।।

ऐसा कोई अक्षर नहीं जिसका महत्व न हो, ऐसा कोई ऐसा जड़ नहीं है जिसमें औषधीय गुण न हों। कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जो समर्थ न हो, लेकिन वास्तव में वह व्यक्ति अद्वितीय है जो अपने सही प्रयोग को जानता है।

ज्योतिषी विनय पारेख जी ने अपने ज्ञान और ज्योतिष विद्या के अनुभव से कई लोगों की मदद की है। बचपन से ही उन्होंने अपने पिता (गुरु) से इसके बारे में सीखा है। वह ब्राह्मणों के हिंदू धर्म के लोगों से हैं, जहां हर व्यक्ति को ज्योतिष पर गहरा विश्वास होता है। इसके गहरे ज्ञान के कारण ही वह इस क्षेत्र में प्रसिद्ध हो गए हैं।

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